Porn addiction( पोर्न देखने की लत)
साथियों, हमारा ब्रेन(मस्तिष्क) में दुनिया के सबसे पावरफुल सुपरकंप्यूटर से ज़्यादा पावर है।लेकिन एक चीज़ है जो इस पूरी पावर को चूस लेती है – और इंडिया के 91% से ज़्यादा मर्द इससे सफर कर रहे हैं।ये चीज़ है – पोर्नोग्राफी।
इस पोस्ट में हम बात करेंगे: जब भी आप पॉर्न देखते हो, आपके ब्रेन में असल में होता क्या है, आपका दिमाग आपको क्यों जंगेज़ ख़ान समझने लगता है, और कैसे ये आपकी लाइफ़, रिश्तों और मोटिवेशन को अंदर से ख़ाली कर देता है – और सबसे ज़रूरी, आप इससे रिकवर कैसे कर सकते हो।
Genghis Khan analogy
जंगेज़ ख़ान कौन था?
एक ऐसा आदमी जिसकी 500 बीवियाँ थीं, जिसने लगभग आधा एशिया जीत लिया और हज़ारों औरतों तक उसकी पहुंच थी।
इतना कि आज भी लगभग 1.5 करोड़ से ज़्यादा लोग ऐसे हैं जिनकी नसों में जंगेज़ ख़ान का ही ख़ून बह रहा है।
फर्क ये है कि जंगेज़ ख़ान ने ये सब रियल वर्ल्ड में किया।लेकिन आज आप अकेले कमरे में, अंधेरे में, स्क्रीन पर हज़ारों औरतें देख सकते हो – और आपके ब्रेन को फर्क ही नहीं पता कि ये रियल है या सिर्फ पिक्सल्स।
Mammal brain – रियल vs डिजिटल (Porn addiction)
हमारे ब्रेन का एक हिस्सा है – मैमल ब्रेन।ये वाला पार्ट रियलिटी और डिजिटल रियलिटी के बीच फर्क नहीं कर पाता।
मतलब, चाहे आपके सामने कोई इंसान सच में खड़ा हो, या आप सिर्फ स्क्रीन पर वीडियो देख रहे हो – मैमल ब्रेन के लिए दोनों सेम हैं।
साइंटिस्ट्स ने इसको समझने के लिए एक्सपेरिमेंट किया।उन्होंने बंदरों को उनका फेवरेट फ्रूट जूस दिया, और बाद में उनके सामने फीमेल बंदरियों की फोटो लगा दी।
जैसे ही ऑपोज़िट सेक्स की फोटो आई, बंदरों ने जूस इग्नोर कर दिया और सारी अटेंशन सिर्फ उन तस्वीरों पर चली गई।
इससे ये क्लियर हुआ कि जैसे ही मैमल ब्रेन को “मेटिंग” से जुड़ा ट्रिगर मिलता है, वो बाकी सब चीज़ों को साइड पर कर देता है।
Brain का काम: mating opportunity (Porn addiction)
ह्यूमन ब्रेन में मैमल ब्रेन का सबसे इम्पॉर्टेंट काम है – मेटिंग opportunities ढूंढना, यानी बच्चा पैदा करने के मौके।जब आप रियल लाइफ़ में अपने पार्टनर के साथ होते हो, ट्रिगर होता है, सेक्स होता है – ये सब रियल वर्ल्ड में होता है, और बॉडी उसी हिसाब से हार्मोन रिलीज़ करती है।
लेकिन जब आप ये सब अपने फोन या लैपटॉप की स्क्रीन पर देखते हो – Instagram हो, websites हों या पॉर्न – आपका ब्रेन सोचता है, “ये भी मेटिंग opportunity ही है।”
इसलिए वही सारे हार्मोन, वही बॉडी चेंजेस, वही डोपामिन रिलीज़ होना शुरू हो जाता है जो रियल सेक्स के दौरान होता है।
ब्रेन को ये समझ ही नहीं आता कि ये सिर्फ pixels हैं, कोई असली इंसान नहीं।
मैं ही Genghis Khan हूँ
जंगेज़ ख़ान ने पूरी लाइफ़ में 500 औरतों के साथ फिजिकली time spend किया।लेकिन आज पॉर्न की वजह से आप सिर्फ एक घंटे में 500 से ज़्यादा औरतों को देख सकते हो।ब्रेन को लगता है – “वाह, मैं तो जंगेज़ ख़ान से भी बड़ा प्लेयर हूँ, इतने सारे मेटिंग ऑपर्च्युनिटीज़!”इससे क्या होता है?इरैक्शन आता है, डोपामिन रिलीज़ होता है, प्लेज़र सिग्नल बार-बार जाता है – और ब्रेन इस हाई डोपामिन को नॉर्मल मानने लगता है।यही चीज़ इसको खतरनाक और एडिक्टिव बनाती है।
इससे क्या होता है?
इरैक्शन आता है, डोपामिन रिलीज़ होता है, प्लेज़र सिग्नल बार-बार जाता है – और ब्रेन इस हाई डोपामिन को नॉर्मल मानने लगता है।यही चीज़ इसको खतरनाक और एडिक्टिव बनाती है।
Rat experiment – reward center हाईजैक
आते हैं एडिक्शन की साइंस पर।साइंटिस्ट्स ने एक रैट के ब्रेन में वायर लगाई, सीधे reward center / pleasure center से कनेक्ट की।उस वायर को जोड़ा गया एक से – जैसे ही रैट लीवर दबाता, दिमाग में हल्का shock + साथ में प्लेज़र फील होता, डोपामिन रिलीज़ होता।
रैट ने लीवर दबाना शुरू किया।पहले थोड़ी बार, फिर 1 घंटे में 700 बार, 10 घंटे में 7000 बार।
कई चूहे तब तक लीवर दबाते रहे जब तक बेहोश नहीं हो गए, कुछ तो मर भी गए – खाना इग्नोर, दूसरी चूहे इग्नोर, सब इग्नोर, बस लीवर।
यही चीज़ पॉर्न के साथ होती है।
हर बार आप प्ले करते हो, स्क्रॉल करते हो, नई वीडियो, नई कैटेगरी – आपका reward center बार-बार ट्रिगर होता है।
जैसे शराबी को सिर्फ बोतल दिखती है, उसी तरह पोर्न एडिक्ट को बस स्क्रीन दिखती है।
Paytm / Google Pay cashback analogy
अब ब्रेन के reward system को एक सिंपल example से समझते हैं – मान लो आपका ब्रेन Google Pay या Paytm जैसा है, और हर काम पर cashback मिल रहा है।
- मम्मी के हाथ का खाना खाया – ₹50 cashback।
- दोस्तों के साथ sunset देखने गए – ₹75 cashback।
- पहला kiss हुआ – ₹200 cashback।
- अपने partner के साथ real sex – ₹500 cashback।
अब एंट्री होती है पॉर्नोग्राफी की।
आप पहली बार पॉर्न देखते हो – ब्रेन को मिलता है सीधा ₹500 cashback-जितना प्लेज़र।क्यों? क्योंकि मैमल ब्रेन के लिए “डिजिटल” और “रियल” सेक्स एक जैसा ही है।
लेकिन ब्रेन ऐसे ही नहीं रुकता।वो कहता है – ₹500 में मज़ा तो आ रहा है, पर और चाहिए।आप नई category ट्राय करते हो – ₹700 cashback।
फिर multiple tabs खोलते हो, बार-बार नई वीडियो – ₹1000 cashback टाइप हाई डोपामिन।फिर extreme content, paid content – बस लेवल बढ़ता ही जाता है।
एक टाइम बाद ब्रेन को महसूस होने लगता है – “कुछ तो गड़बड़ है। इतने cashback पे cashback, पर ground पर कोई real connection नहीं हो रहा।”
Dopamine receptors बंद होना (Porn addiction)
जब ब्रेन को बार-बार unreal high level का डोपामिन मिलना शुरू हो जाता है, तो वो self-defense में एक काम करता है –वो अपने dopamine receptors को बंद करना शुरू कर देता है।
मतलब:
- पहले जो चीज़ ₹1000 cashback दे रही थी, अब वही चीज़ सिर्फ ₹100 जैसी लगने लगती है।
- पहले महीने एक वीडियो से बहुत मज़ा आता था, 6 महीने बाद same चीज़ कमजोर लगती है।
- कुछ समय बाद normal वीडियो से कुछ feel ही नहीं होता, फिर आप और extreme की तरफ जाते हो।
नतीजा
- रियल लाइफ़ की चीज़ों से मिलने वाला cashback बहुत छोटा लगने लगता है।
- पढ़ाई, काम, family time, दोस्त – सब “बोरिंग” लगने लगता है।
- हर achievement खाली लगती है, motivation मर जाता है।
Brain scans – reward center सिकुड़ना (Porn addiction)
साइंटिस्ट्स ने पॉर्न यूज़र्स के ब्रेन स्कैन किए और compare किया normal, non-addicted लोगों से।जो हिस्सा reward center / pleasure center का है, पॉर्न एडिक्ट्स में वो और छोटा और कम active पाया गया।
ब्रेन ने literally “cashback कम” करने के लिए अपना reward center ही सिकुड़ना शुरू कर दिया।
इसीको ग्रे matter changes बोला जाता है – वो पार्ट डल पड़ने लगता है, receptors कम respond करते हैं।
इससे रियल लाइफ में खुशी, satisfaction और motivation almost dead महसूस होने लगते हैं।
साथ ही, जो प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स है – यानी ब्रेन का CEO, decision making center – वो भी पॉर्न एडिक्ट्स में कम active पाया गया।
इससे self-control गिर जाता है, “मैं छोड़ना चाहता हूँ” सोचते हुए भी इंसान बार-बार relapse करता है, काम, जिम, करियर, business – कुछ करने का मन नहीं करता।
Withdrawal से Recovery तक – 90 दिन
अब सवाल – क्या इससे रिकवर किया जा सकता है?हाँ, बिल्कुल। इसको बोला जाता है neuroplasticity – जैसे ब्रेन के circuits time के साथ बिगड़े, वैसे ही time के साथ वापस बन भी सकते हैं, अगर आप सही steps follow करो।
इसके लिए आपको खुद को एक “recovery reality” में डालना पड़ेगा – और पॉर्न से अपने आपको धीरे नहीं, सीधे withdraw करना पड़ेगा।
जब भी trigger आए, उसे ऐसे देखो जैसे ये एक टेस्ट है – जो पास कर लिया, लाइफ़ बन सकती है, fail हुए तो result आपने already सुन लिए हैं।
साथियों अब recovery के चार phase को समझिए
1) Day 1–14: Withdrawal phase
- Anxiety, irritation, गुस्सा, नींद की दिक्कत।
- ब्रेन literally चिल्लाएगा – “मेटिंग opportunity कहाँ गई? मेरे Genghis Khan को क्या हो गया?”
- इस phase में strong urge आएगी वापस वही करने की।
2) Week 3–4: Flatline phase
- सब कुछ बोरिंग लगेगा।
- इरेक्टाइल dysfunction टाइप issues आ सकते हैं, कुछ भी exciting नहीं लगेगा।
- लेकिन यही वो time है जब ब्रेन को समझ आना शुरू होता है कि “ये new normal है, fake high नहीं।”
3) Day 30–60: Awakening phase
- Energy वापस आनी शुरू होगी।
- Real लोग attractive लगने लगेंगे।
- थोड़ा sense of purpose वापस महसूस होगा।
4) Day 60–90: Rewiring phase
- Confidence improve होगा, social anxiety कम होगी।
- Real relationships build होने लगेंगे।
- 90 days के बाद “new normal” start होता है – reward center धीरे-धीरे वापस grow करना शुरू करता है, और real life की चीज़ों में दुबारा मज़ा आने लगता है।
बस condition एक है – 90 दिन honestly commit करने हैं।
तीन choices – किसे चुनोगे?
आपके पास आज तीन choices हैं:
#1.जैसा चल रहा है, वैसा चलने दो
चोरी की तरह हर रोज़ digital lever दबाते रहो, ब्रेन को hijack होने दो, और सालों बाद सोचते रहो – “ज़िंदगी इतनी खाली क्यों लगती है?”
#2.Moderation ट्राय करो
“अभी daily करता हूँ, अब हफ्ते में एक बार करूँगा… फिर महीने में एक बार…”लेकिन जैसे शराबी को rehab से निकालकर अगर बोला – “चल एक पैग ले ले” – वो रुकता है क्या?रिसर्च यही कहती है – ज्यादातर लोग जो “बस एक बार” बोलते हैं, वो वापस उसी addiction में फँस जाते हैं।
#3.Kill the devil – पूरी तरह छोड़ दो
मान लो कि आपका ब्रेन hijack हो चुका है, और अगर अभी 90 दिन commit नहीं किए तो future में बहुत बड़ी क़ीमत देनी पड़ेगी।ये सबसे मुश्किल choice है, लेकिन यही एक choice है जो सच में आपकी motivation, energy और real connection वापस ला सकती है।
निष्कर्ष
आपका ब्रेन इस पूरे यूनिवर्स का सबसे sophisticated element है।इसी दिमाग से businesses बनते हैं, relationships बनते हैं, problems solve होती हैं, civilizations और industries खड़ी होती हैं।और पॉर्नोग्राफी के चक्कर में हम इसी ब्रेन की power को leak कर देते हैं।
Science साफ़-साफ़ कहती है – ये addiction आपके ब्रेन के reward centers को छोटा कर देता है, real life को dull और meaningless बना देता है, और आपकी sexuality, confidence और relationships को distort कर देता है।
साथियों, अब choice हमेशा की तरह आपके हाथ में है –या तो उसी पुराने loop में फंसे रहो, या आज से 90 दिन commit करके अपने ब्रेन की power वापस claim करो।